राष्ट्रवाद का नया विशेषण ,
हर बातों का खुद संश्लेषण ,
क्या तुम बोलो निर्माता हो ?
कौन भला
ही काम किया है?
जन-मन को क्यों भ्रमित कर रहे ?
बोलो,मूक बने
क्यों दर्शक?
तिमिरालय मन का
पट खोलो !
बोलो आखिर कुछ तो बोलो-
डींग मारते घूम रहे हो ,
राष्ट्रवाद के तुम्ही हिमायक –
जनता सब है गूंगी बहरी |
दास प्रथा अब चली गयी है
लोकतन्त्र का डंका बजता ,
सारे जन-मन हैं विवेकमय-
नाहक तुम प्रलाप कर रहे |
स्वार्थ तुम्हारा क्या है इसमे ?
कुछ तो बोलो , कुछ तो बोलो,
राष्ट्रवाद के बने प्रदर्शक –
मार्ग दिखाओगे अब तुम ही !
निरपेक्ष भाव से ऊपर उठ कर –
जाओ हटो , नहीं है तेरा –
कामवाम अब इस धरती पर-
ढोंग रचाकर मत भरमाओ |
डोलो,नाचो, गाओ थिरको ,
नहीं चलेगी बात तुम्हारी ,
जनता तुम्हें उठा फेकेगी ,
मत तुम अब इतना इतराओ |
राष्ट्रवाद का नया विशेषण ,
हर बातों का खुद संश्लेषण ,
क्या तुम बोलो निर्माता हो ?
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