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Thursday, June 30, 2016

लाठियां

लाठियां बरसती रहीं,आंदोलनकारी भागते रहे,गिरते-पड़ते  लुढकते-चीखते, कराहते और चिल्लाते,पुलिस दौड़ाती रही,और वह नेतृत्व करने वाला नेता,बंद शीशे के कार में-बैठा, खामोश-साध रहा था-अपना जोड़,मोल-टोल चल रहा था मोबाइल पर,उधर से आवाज़ आई,'ठीक है।',और वह कार घुमाकर-चल दिया,छोड़ आंदोलन कारियों को,मरने-खपने,जेल जाने की होड़ में-छोड़ कर!
                                 - उमेश  श्रीवास्तव 

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