A poem of Umesh Srivastava
काव्य रस का मैं पुरुष हूँ
गीत गाने आ गया |
खो रही जो बात मैं
उसको बताने आ गया |
रात चंदा ने चकोरी से
कहा तुम जान लो |
इस धरा की तुम रंगीनी
जान लो पहचान लो |
जब भी प्रेमी प्रेमिका से
मुस्कुरा कर बोलता |
वह उसे तुम सी चकोरी
जानकर रस घोलता |
आज समझी हो नादानी
बात यह पहचान लो |
-उमेश श्रीवास्तव
A poem of Umesh Srivastava
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