पास दर्पन हो तो, खुद स्वयं देखिये,
आप अपना खुदा, खुद समझ जाएंगें।
किसका अच्छा किया, किसका सिर है कलम,
दर्पनो में सभी कुछ समझ जायेंगे।
मुस्कुराने की आदत यहाँ पल रही,
बस खुदी पर ज़रा मुस्कुरा दीजिये।
यह है प्यारा जगत, यहं सुखन है बहुत,
उनकी कविता को हसकर दुआ दीजिये।
वे स्वयं ही बनेंगे दादू, मीरा "औ" गंग,
बस कबीरा को कुछ गुनगुना लीजिए।
- उमेश श्रीवास्तव
आप अपना खुदा, खुद समझ जाएंगें।
किसका अच्छा किया, किसका सिर है कलम,
दर्पनो में सभी कुछ समझ जायेंगे।
मुस्कुराने की आदत यहाँ पल रही,
बस खुदी पर ज़रा मुस्कुरा दीजिये।
यह है प्यारा जगत, यहं सुखन है बहुत,
उनकी कविता को हसकर दुआ दीजिये।
वे स्वयं ही बनेंगे दादू, मीरा "औ" गंग,
बस कबीरा को कुछ गुनगुना लीजिए।
- उमेश श्रीवास्तव
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