A poem of Umesh chandra srivastava
बीता वर्ष सुखद पावन था,
नया वर्ष सावन होगा।
मिथकों की न डोर चलेगी,
सत्य युक्त तन-मन होगा।
भय का सब माहौल गया अब,
निर्भय बन आगे आओ।
कौन दुष्ट है जो यह करता,
उसको मुक्की दिखलाओ।
नव नूतन यह वर्ष हमारा,
सब जन लोग प्रफुल्लित हो।
प्रेम-प्यार का रस खुब बरसे,
पूरा जग अभिसिंचित हो।
बीता वर्ष सुखद पावन था,
नया वर्ष सावन होगा।
मिथकों की न डोर चलेगी,
सत्य युक्त तन-मन होगा।
भय का सब माहौल गया अब,
निर्भय बन आगे आओ।
कौन दुष्ट है जो यह करता,
उसको मुक्की दिखलाओ।
नव नूतन यह वर्ष हमारा,
सब जन लोग प्रफुल्लित हो।
प्रेम-प्यार का रस खुब बरसे,
पूरा जग अभिसिंचित हो।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava
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