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Thursday, December 3, 2020

यह सड़ी गली कविता

A poem of Umesh chandra srivastava 


 यह सड़ी गली कविता

लिख कर कब तक चलाओगे
बिना लय की
कविता सुना कर
कब तक तुलसी बाबा
का बहिष्कार करोगे
खूंटी पर टंगी
तस्वीर की तरह
तुम्हारी कविता में
न जान है
न रस है
न तत्व है
फिर भी तुम
झुंड बनाकर
उसको बेहतरीन
बनाने पर तुले रहते हो
बस तुम्हारे लोग
उसे सराहते हैं
पढ़ते हैं
बताओ कितने
पाठक बने
तुम्हारी कविता संग्रह के
बताओ
-उमेश चन्द्र श्रीवास्तव
A poem of Umesh chandra srivastava 

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