A poem of Umesh chandra srivastava
मेरा जीवन सब के लिए है ,
दिए जलाओ , हर घर-घर में।
प्रेम-प्यार का रस बरसाओ ,
हर मानव में प्रेम बढ़ाओ।
जीवन का है प्यार ही गहना ,
सहना-सहना सब कुछ सहना।
पर जीवन में दम्भ न करना ,
मानव हो मानव सा रहना।
कुछ अनमोल छणिक छणिका को ,
जीवन का उसे मूल्य समझना।
जो भी दोगे - वही मिलेगा ,
फिर क्या रोना धोना झूठा।
जीवन के आवृत्त सफर में ,
हर्षित पुलकित हरदम रहना।
मेरा जीवन सब के लिए है ,
दिए जलाओ , हर घर-घर में।
मेरा जीवन सब के लिए है ,
दिए जलाओ , हर घर-घर में।
प्रेम-प्यार का रस बरसाओ ,
हर मानव में प्रेम बढ़ाओ।
जीवन का है प्यार ही गहना ,
सहना-सहना सब कुछ सहना।
पर जीवन में दम्भ न करना ,
मानव हो मानव सा रहना।
कुछ अनमोल छणिक छणिका को ,
जीवन का उसे मूल्य समझना।
जो भी दोगे - वही मिलेगा ,
फिर क्या रोना धोना झूठा।
जीवन के आवृत्त सफर में ,
हर्षित पुलकित हरदम रहना।
मेरा जीवन सब के लिए है ,
दिए जलाओ , हर घर-घर में।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava
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