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Saturday, March 16, 2019

हे भारत के भाग्य विधाता

A poem of  Umesh chandra srivatava


यह अवसर जाने न पाए ,
लोकतंत्र का पर्व है आया।
अपने  वोटों की कीमत का ,
बड़ा सुनहरा अवसर आया।

किसको वोट करेंगे हम सब ,
इसपर जम कर मंथन करलो ।
लेकिन वोट अवश्य ही देना,
हे भारत के भाग्य विधाता।




 उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of  Umesh chandra srivatava 

1 comment:

  1. अनुपम आव्हान अभिनंदनीय है। 🙏 👏 🙏

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