A poem of Umesh chandra srivatava
यह अवसर जाने न पाए ,
लोकतंत्र का पर्व है आया।
अपने वोटों की कीमत का ,
बड़ा सुनहरा अवसर आया।
किसको वोट करेंगे हम सब ,
इसपर जम कर मंथन करलो ।
लेकिन वोट अवश्य ही देना,
हे भारत के भाग्य विधाता।
यह अवसर जाने न पाए ,
लोकतंत्र का पर्व है आया।
अपने वोटों की कीमत का ,
बड़ा सुनहरा अवसर आया।
किसको वोट करेंगे हम सब ,
इसपर जम कर मंथन करलो ।
लेकिन वोट अवश्य ही देना,
हे भारत के भाग्य विधाता।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivatava
अनुपम आव्हान अभिनंदनीय है। 🙏 👏 🙏
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