A poem of Umesh chandra srivastava
देवी नहीं , भारत की नारी ,
पतवार बनो तुम सुलभ दुलारी।
जग को तुम पर नाज़ है।
भारत की गौरव गाथा तुम।
अपना देश महान है।
सदा परीक्षा से गुज़री तुम ,
सीता , सती , सावित्री तुम।
तुम भारत की वीर सपूती ,
तुम पर सब कुरबान है।
सदा-सदा से लाज बचाया ,
सदा-सदा संघर्ष करो।
हम सब वीर सपूत जहां के ,
तुम पर सबको नाज़ है।
सुलभ दृष्टि, ममता की छाया,
पुत्री, माँ, बहना हो तुम।
कर्मावती, दुर्गावती तुम हो ,
तुम पर सब बलिदान है।
देवी नहीं , भारत की नारी ,
पतवार बनो तुम सुलभ दुलारी।
जग को तुम पर नाज़ है।
भारत की गौरव गाथा तुम।
अपना देश महान है।
सदा परीक्षा से गुज़री तुम ,
सीता , सती , सावित्री तुम।
तुम भारत की वीर सपूती ,
तुम पर सब कुरबान है।
सदा-सदा से लाज बचाया ,
सदा-सदा संघर्ष करो।
हम सब वीर सपूत जहां के ,
तुम पर सबको नाज़ है।
सुलभ दृष्टि, ममता की छाया,
पुत्री, माँ, बहना हो तुम।
कर्मावती, दुर्गावती तुम हो ,
तुम पर सब बलिदान है।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava
No comments:
Post a Comment