हे श्रेष्ठ नमन ,श्रद्धा-पूजा-अर्पण ,
पुष्पों का सुन्दर हार लिए।
है नमन श्रेष्ठ भारत सूत को ,
भावों का पुष्प पराग लिए।
गौरव भारत पर होता है ,
जब आते ऐसे पुण्य पुरुष।
नित नूतन भव्य विचार लिए ,
भारत का गौरव मान लिए।
हिम चोटी उत्तम शिखर बढ़े ,
नदियों में स्वच्छता और बढ़े।
मानव में प्रेम-सहिष्णु बढ़े ,
जीवन में सुगमता आ जाये।
नव चेतन मन हो स्वच्छ-स्वच्छ ,
उसमें किसलय अनुराग बढ़े।
समतल भू-भाग हों हरे-भरे ,
उसमें बीजों का हार बढ़े।
आओ मिलजुल भारत वासी ,
अमनों के प्रति अनुराग बढे।
नैतिकता नूतन सजग तने ,
मनुजों में नव्या विचार बढ़े।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
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