poem of Umesh chandra srivastava
(50वीं शादी के सालगिरह की पवन बेला पर)
भावों के पुष्प चढ़ाऊंगा , मेरे जीजा तेरे चरणों में ,
रिश्ता नाते दुलराउंगा , मेरे जीजा तेरे चरणों में।
तुम जब बोले-सच्चा बोले , सच्चा तो कड़ुवा होता है ,
कुछ को भाता , कुछ तुनुक जाते , मेरे जीजा तेरे चरणों में।
आदर बहु है सम्मान बहुत ,ह्रदय से बातें करता हूँ ,
जो योग्य रहा ,मंजूर करो , मेरे जीजा तेरे चरणों में।
आशा की पुलकित छाँव में , बादल के सुनहरे गांवों में ,
तुम चिरजीवी बनकर फैलो , मेरे जीजा तेरे चरणों में।
कुछ श्वेत पत्र जीवन में भी-जीवन को रसासिक्त करते ,
आगंतुक सब चेहरे-मोहरे , मेरे जीजा तेरे चरणों में।
जो भी बीता सब अच्छा था , शिकवे की बहारें कभी न हों ,
सच्चा जीवन आगे भी हो , मेरे जीजा तेरे चरणों में।
(50वीं शादी के सालगिरह की पवन बेला पर)
भावों के पुष्प चढ़ाऊंगा , मेरे जीजा तेरे चरणों में ,
रिश्ता नाते दुलराउंगा , मेरे जीजा तेरे चरणों में।
तुम जब बोले-सच्चा बोले , सच्चा तो कड़ुवा होता है ,
कुछ को भाता , कुछ तुनुक जाते , मेरे जीजा तेरे चरणों में।
आदर बहु है सम्मान बहुत ,ह्रदय से बातें करता हूँ ,
जो योग्य रहा ,मंजूर करो , मेरे जीजा तेरे चरणों में।
आशा की पुलकित छाँव में , बादल के सुनहरे गांवों में ,
तुम चिरजीवी बनकर फैलो , मेरे जीजा तेरे चरणों में।
कुछ श्वेत पत्र जीवन में भी-जीवन को रसासिक्त करते ,
आगंतुक सब चेहरे-मोहरे , मेरे जीजा तेरे चरणों में।
जो भी बीता सब अच्छा था , शिकवे की बहारें कभी न हों ,
सच्चा जीवन आगे भी हो , मेरे जीजा तेरे चरणों में।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
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