A poem of Umesh chandra srivastava
पावन सुखद दीवाली आयी ,
हर घर-घर में खुशियां छायी।
हर्षित बच्चे फोड़ें पड़ाका ,
धूम-धड़ाका धूम-धड़ाका।
माँ लेकर के लावा चिउरा ,
लाई लायी लेकर मिठाई।
पावन सुखद दीवाली आयी ,
हर घर-घर में खुशियां छायी।
पावन सुखद दीवाली आयी ,
हर घर-घर में खुशियां छायी।
हर्षित बच्चे फोड़ें पड़ाका ,
धूम-धड़ाका धूम-धड़ाका।
माँ लेकर के लावा चिउरा ,
लाई लायी लेकर मिठाई।
पावन सुखद दीवाली आयी ,
हर घर-घर में खुशियां छायी।
सुन्दर प्यारा त्यौहार हमारा ,
बढ़ता जिससे भाई-चारा।
बाँट-वांट कर खाएं मिठाई ,
अद्भुत दिवस आज है भाई।
पावन सुखद दीवाली आयी ,
हर घर-घर में खुशियां छायी।
सांझ पहर लक्ष्मी गणेश को ,
दीप जलाएं सब मिल भाई।
प्रेम प्यार का छटा बिखेरें,
दीपावली आयी है भाई ।
पावन सुखद दीवाली आयी ,
हर घर-घर में खुशियां छायी।
हर घर-घर में खुशियां छायी।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava
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