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Saturday, May 4, 2019

यहाँ सब हैं योद्धा, सभी प्रेम योद्धा,

A poem of Umesh chandra srivastava .

यहाँ सब हैं योद्धा, सभी प्रेम योद्धा,
नहीं है जगत में कोई भी विध्वंसक। 
सभी जग के प्राणी अहिंसक-अहिंसक,
इन्हें प्यार दे दो ये प्रेम पुजारी।
करो और दिखाओ, ये करना बताना ,
जगत की ये बाते सभी को सुनाना।
      वही रोज आना-वही रोज जाना ,
      वही रोज बातों का कहना सुनाना।  




उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava . 

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