A poem of Umesh chandra srivastava .
यहाँ सब हैं योद्धा, सभी प्रेम योद्धा,
नहीं है जगत में कोई भी विध्वंसक।
सभी जग के प्राणी अहिंसक-अहिंसक,
इन्हें प्यार दे दो ये प्रेम पुजारी।
करो और दिखाओ, ये करना बताना ,
जगत की ये बाते सभी को सुनाना।
वही रोज आना-वही रोज जाना ,
वही रोज बातों का कहना सुनाना।
यहाँ सब हैं योद्धा, सभी प्रेम योद्धा,
नहीं है जगत में कोई भी विध्वंसक।
सभी जग के प्राणी अहिंसक-अहिंसक,
इन्हें प्यार दे दो ये प्रेम पुजारी।
करो और दिखाओ, ये करना बताना ,
जगत की ये बाते सभी को सुनाना।
वही रोज आना-वही रोज जाना ,
वही रोज बातों का कहना सुनाना।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava .
No comments:
Post a Comment