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Thursday, April 11, 2019

कालरात्रि

A poem of Umesh chandra srivastava


माँ काली के आराधन से ,
जनम, मरण पोषण मिलता।
शक्ति स्वरूपा हे माँ काली ,
तेरा वंदन अभिनंदन।

तेरी कृपा से सृष्टि चलती,
सब जान का आँचल भरती।
तू ही एक सहारा माँ है ,
तेरा जग गुणगान करे।

शिव की प्यारी, शिव की दुलारी,
काली नाम अमर हुआ।
तेरे चरणों में माँ वंदन ,
रोली, ऐपन,  चन्दन है।

तेरा ही गुण नित मैं गाउँ,
ऐसा माँ दे दो वरदान।
भक्त तुम्हारा चरणों में है,
 मद और मोह को दूर करो।




उमेश चंद्र श्रीवास्तव- 
A poem of Umesh chandra srivastava 

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