A poem of Umesh chandra srivastava
कितने सूंदर नैन तुम्हारे ,कितनी सुन्दर बातें हैं।
एकदम फूल कमल दल लगते , कितनी सुन्दर दाते हैं।
मुखड़ा चंद्र मलय सा लगता , पपवणता की मूरत तुम।
मन करता बीएस तुम्हें निहारुं , कितनी सुन्दर साँसे हैं।
कितने सूंदर नैन तुम्हारे ,कितनी सुन्दर बातें हैं।
एकदम फूल कमल दल लगते , कितनी सुन्दर दाते हैं।
मुखड़ा चंद्र मलय सा लगता , पपवणता की मूरत तुम।
मन करता बीएस तुम्हें निहारुं , कितनी सुन्दर साँसे हैं।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava
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