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Wednesday, April 17, 2019

एक बंद

A poem of Umesh chandra srivastava


कितने सूंदर नैन तुम्हारे ,कितनी सुन्दर बातें हैं।
एकदम फूल कमल दल लगते , कितनी सुन्दर दाते हैं।
मुखड़ा चंद्र मलय सा लगता , पपवणता की मूरत तुम।
मन करता बीएस तुम्हें निहारुं , कितनी सुन्दर साँसे हैं।




उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava 

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