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Wednesday, April 10, 2019

कात्यायनी माँ तुझे प्रणाम

A poem of Umesh chandra srivastava


माँ का रूप निराला जग में,
कात्यायनी माँ तुझे प्रणाम।
कात्यायन ऋषि के खातिर,
सुता बनी उनकी माँ तुम।

कुल भी उनका माना तुमने,
गोत्र को भी स्वीकार किया।
तेरा प्रेम है अविरल माता,
तू जग की कल्याणी माँ।

आज रात में तप होता है,
आज जागरण सब करते।
रूप राशि की खान है माता,
माता तुमको कोटि प्रणाम। 



उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava 

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