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Tuesday, April 9, 2019

कुष्मांडा माँ तेरा अर्चन

A poem of Umesh chandra srivastava 





माँ देवी का आराधन है ,
प्रकृति, पर्यावरण की अधिष्ठात्री |
कुष्मांडा माँ तेरा अर्चन ,
करता हूँ कर जोड़ सही |
तू ही माँ सृष्टि विस्तारक ,
तेरा तेज है सूर्य सामान |
जग के हर नारी-नर का ,
माँ अब कर दे तू कल्याण |
जप 'औ' ध्यान तुम्हीं से हे माँ ,
धरती को पल्लवित करती |
तृप्ति, तुष्टि दोनों तुमसे ,
माँ तुमको है कोटि प्रणाम |





उमेश चन्द्र श्रीवास्तव -


A poem of Umesh chandra srivastava 

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