A poem of Umesh chandra srivastava
माँ देवी का आराधन है ,
प्रकृति, पर्यावरण की अधिष्ठात्री |
कुष्मांडा माँ तेरा अर्चन ,
करता हूँ कर जोड़ सही |
तू ही माँ सृष्टि विस्तारक ,
तेरा तेज है सूर्य सामान |
जग के हर नारी-नर का ,
माँ अब कर दे तू कल्याण |
जप 'औ' ध्यान तुम्हीं से हे माँ ,
धरती को पल्लवित करती |
तृप्ति, तुष्टि दोनों तुमसे ,
माँ तुमको है कोटि प्रणाम |
माँ देवी का आराधन है ,
प्रकृति, पर्यावरण की अधिष्ठात्री |
कुष्मांडा माँ तेरा अर्चन ,
करता हूँ कर जोड़ सही |
तू ही माँ सृष्टि विस्तारक ,
तेरा तेज है सूर्य सामान |
जग के हर नारी-नर का ,
माँ अब कर दे तू कल्याण |
जप 'औ' ध्यान तुम्हीं से हे माँ ,
धरती को पल्लवित करती |
तृप्ति, तुष्टि दोनों तुमसे ,
माँ तुमको है कोटि प्रणाम |
उमेश चन्द्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava
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