A poem of Umesh chandra srivastava
उमेश श्रीवास्तव-
निपट अनाड़ी तुम भी सुन लो
कविता राग विराग सही
भावो का अवगुंठन सारा
यह केवल संवाद नही
अरे जरा कबिरा को देखो
लिखा सहा उस युग का सब
अब तो बानगी पेश कर रहे
उसमे रहना कुछ भी नही ...
कविता राग विराग सही
भावो का अवगुंठन सारा
यह केवल संवाद नही
अरे जरा कबिरा को देखो
लिखा सहा उस युग का सब
अब तो बानगी पेश कर रहे
उसमे रहना कुछ भी नही ...
उमेश श्रीवास्तव-
A poem of Umesh chandra srivastava
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