A poem of Umesh chandra srivastava
वह लिखते छंद शास्त्र से,
परिभाषित करके पढ़ते |
हम तो लिखते जग की बाते,
लोगो को केवल गढ़ते |
वह तो शास्त्र पुरोहित ठहरे,
शास्त्रों के विद्वान प्रबल|
अपनी बातो में रंग भरते ,
दूजे को केवल कहते |
वह लिखते छंद शास्त्र से,
परिभाषित करके पढ़ते |
हम तो लिखते जग की बाते,
लोगो को केवल गढ़ते |
वह तो शास्त्र पुरोहित ठहरे,
शास्त्रों के विद्वान प्रबल|
अपनी बातो में रंग भरते ,
दूजे को केवल कहते |
उमेश चन्द्र श्रीवास्तव-
A poem of Umesh chandra srivastava
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