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Thursday, July 4, 2019

वह लिखते छंद शास्त्र से,

A poem of Umesh chandra srivastava


वह लिखते छंद शास्त्र से,
परिभाषित करके पढ़ते |
हम तो लिखते जग की बाते,
लोगो को केवल गढ़ते |
वह तो शास्त्र पुरोहित ठहरे,
शास्त्रों के विद्वान प्रबल|
अपनी बातो में रंग भरते ,
दूजे को केवल कहते |



उमेश चन्द्र श्रीवास्तव- 
A poem of Umesh chandra srivastava 

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