A poem of Umesh chandra srivastava
तुम्हारे आने से,
मौसम बदल जाता है |
तुम्हारे मुस्कुराने
से ,
फूल खिल जाते है |
तुम्हारे देखने से ,
सूरज लहलहाने लगता
है |
तुम्हारा सुखद सहवास
,
शीतलता प्रदान करता
है |
बहुत सोचता हूँ ,
कि तुम्हारे पास,
ऐसा कौन सा ,
गुरुत्वाकर्षण है ,
की सब कुछ ,
खिंचा-खिंचा लगता है
|
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
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