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Saturday, July 20, 2019

तुम्हारे आने से ,


A poem of Umesh chandra srivastava

तुम्हारे आने से,
मौसम बदल जाता है |
तुम्हारे मुस्कुराने से ,
फूल खिल जाते है |
तुम्हारे देखने से ,
सूरज लहलहाने लगता है |
तुम्हारा सुखद सहवास ,
शीतलता प्रदान करता है |
बहुत सोचता हूँ ,
कि तुम्हारे पास,
ऐसा कौन सा ,
गुरुत्वाकर्षण है ,
की सब कुछ ,
खिंचा-खिंचा लगता है |



उमेश चंद्र श्रीवास्तव -

A poem of Umesh chandra srivastava




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