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Tuesday, July 23, 2019

आज फिर तुमको बुलाना चाहता हूँ

A poem of Umesh chandra srivastava




आज फिर तुमको बुलाना चाहता हूँ ,
आज फिर उस दीप की चाहत मुझे |
रोशनाई में नहा कर प्रेम पूरित ,
आज फिर तुमको दिखाना चाह्ता हूँ |
तुम सदा से पास मेरे ही रही हो ,
तुम सदा से साथ मेरे ही रही हो |
प्रेम का वह राग छेड़ो फिर जरा तुम ,
आज मैं उसमें नहाना चाहता हूँ |



उमेश चन्द्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava 

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