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Thursday, July 18, 2019

अभी तो बहुत काम है


A poem of Umesh chandra srivastava



अभी तो बहुत काम है ,
यहाँ-कहाँ आराम है|
वह तो फिकर में रह रहे ,
खुद वह बढे , खुद को गढे। 
मेरा तो बस मिजाज है ,
वह ही बढे , वह ही चढे। 

इस ज़िन्दगी के मायने ,
समझो कहाँ विराम है। 
अभी तो बहुत काम है ,
यहाँ कहाँ आराम है। 


उमेश चन्द्र श्रीवास्तव-

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