Poem of Umesh chandra srivastava 
भय का वातावरण दिखाया,
भयाक्रांत सब लोग यहां। 
बैठक ,भोजन पर आमंत्रण ,
चर्चा है अब लोक , जहाँ। 
शाशन की मर्यादा ऐसी ,
निजता पर ही प्रश्न उठा। 
कब क्या कह दें शाशन वाले ,
इसका अब है मोल कहाँ।     (शेष कल...)
उमेश चंद्र श्रीवास्तव-
Poem of Umesh chandra srivastava 
 
 
No comments:
Post a Comment