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Thursday, December 14, 2017

स्मृति

Poem of Umesh chandra srivastava

वह सखी कुमारी कोमल ,
यादें भी पल-पल हंसतीं ,
कुछ याद सखी की बिहँसी ,
कुछ कसक टीस सी होती।

वह कोमल मनभावन थी ,
पावन मन में सोती थी ,
मैं चहक-चहक कर उसकी ,
रसबूंद सदा चखता था।  (फिर कभी... )



 उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
Poem of Umesh chandra srivastava 

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