लोकतंत्र ! सावधान !!
आ गया मेहरबान।
कितना बड़ा सत्य कहता ,
कुछ नहीं किया उन्होंने ,
केवल लूटने के सिवा !
वाह रे ! भाई वाह !!
-उमेश चंद्र श्रीवास्तव
A poem of Umesh Srivastava काव्य रस का मैं पुरुष हूँ गीत गाने आ गया | खो रही जो बात मैं उसको बताने आ गया | रात चंदा ने चकोरी से कहा तुम जान ...
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