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Tuesday, December 26, 2017

एक बंद

A poem of Umesh chandra srivastava

ये , वो सड़क साफ हो गयी , लगता है वो आएंगे।
भ्रम की बातें फैला-फैला कर ,लगता है वो छाएंगे।
वोट की खातिर मारा-मारी ,एक दूजे को ख़ारिज कर।
अपना-अपना राग अलापें ,जन-मन को भरमायेंगे।

उमेश चंद्र श्रीवास्तव- 
A poem of Umesh chandra srivastava 

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