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Saturday, September 1, 2018

सोहै मुरली की तान सुहानी

A poem of Umesh chandra srivastava

सोहै मुरली की तान सुहानी ,
बड़ा नीक लागै देवरानी।
छोट-छोट  बहियाँ ले ,
नान्ह-नान्ह पउंवां ,
ठुमुक चलें 'औ' यशोदा लजानी।
          बड़ा नीक लागै देवरानी।

धाए-धाए भागे ,
'औ ' धाए-धाए लुकाये ,
ढूँढत-फिरत , माँ हैरानी।
          बड़ा नीक लागै देवरानी।

दंतुल दीखै , बदन छहराए ,
उसपे मोर मुकुट हरषानी ,
          बड़ा नीक लागै देवरानी।

माखन खाये ,दही बिखराये ,
सारी गोपन को खूब चिढ़ाए ,
उसपे गोप खिसियानी।
          बड़ा नीक लागै देवरानी।

अंजुरी भर-भर के हाथ नचावै ,
सब गोपन से रार मचावै  ,
करैं शिकायत , बड़ी परेशानी ,
          बड़ा नीक लागै देवरानी। 




उमेश  चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava 

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