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Sunday, May 21, 2017

तुम्हें चाँद कहूँ या सूरज

poem by Umesh chandra srivastava

तुम्हें चाँद कहूँ या सूरज ,
तारा का नाम जो दे दूँ।
तुम ध्रुव तारा सा बनना ,
जो अडिग रहा जीवन भर।

जीवन के मोल को समझो ,
जीवन का खोल यही है।
जीवन में गर कुछ करना ,
तो अडिग रहो बातों पर।

जीवन का मोल सुखद है ,
जीवन से सब कुछ मिलता।
मत कोई संकुचन करना ,
जीवन पथ आगे बढ़ना।

उतना तो सरल नहीं है ,
बाधाएं अगणित इसमें।
पर उसे सम्भालो संयम ,
जीवन तो सुखद रहेगा।

पथ कंटक सारे जो हैं ,
वह अपने आप छटेंगे।
जीवन तो धार कटारी ,
पर अडिग तुम आगे बढ़ना।




उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
poem by Umesh chandra srivastava 

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