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Friday, March 16, 2018

कहो भारती कैसी हो

A poem of Umesh chandra srivastava

कहो भारती कैसी हो ,
आँखों में अंजन की धारा।
मस्त हवा का अद्भुत नारा ,
क्या कहती हो कैसी हो।

जब तुम मुक्त हुई थी उनसे ,
कारापन कुछ दूर हुआ था।
अब बोलो तुम  कैसी हो।

वह दूजे का दोहन करते ,
बड़ी आपदा झेल चुकी तुम।
अब बोलो तुम कैसी हो।
                  कहो भारती कैसी हो। (क्रमशः-कल )




उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava 

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