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Wednesday, May 2, 2018

यही तो है लोकतंत्र

लगे हैं पेड़ पर ,
करोड़ पत्ते !
अब गिनो ,
धुनों अपना सिर।
गाँव-गाँव पहुँच गयी बिजली ,
अब ढूंढो किस गाँव नहीं पहुंची।
'ऐप्प' वह भी दिखा रहा गांव ,
जहां खम्भे नहीं पहुंचे।
कमाल है जुमला ,
कमाल हैं लोग ,
और कमाल है बयानबाजी।
यही तो है लोकतंत्र !



उमेश चंद्र श्रीवास्तव -

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