लगे हैं पेड़ पर ,
करोड़ पत्ते !
अब गिनो ,
धुनों अपना सिर।
गाँव-गाँव पहुँच गयी बिजली ,
अब ढूंढो किस गाँव नहीं पहुंची।
'ऐप्प' वह भी दिखा रहा गांव ,
जहां खम्भे नहीं पहुंचे।
कमाल है जुमला ,
कमाल हैं लोग ,
और कमाल है बयानबाजी।
यही तो है लोकतंत्र !
करोड़ पत्ते !
अब गिनो ,
धुनों अपना सिर।
गाँव-गाँव पहुँच गयी बिजली ,
अब ढूंढो किस गाँव नहीं पहुंची।
'ऐप्प' वह भी दिखा रहा गांव ,
जहां खम्भे नहीं पहुंचे।
कमाल है जुमला ,
कमाल हैं लोग ,
और कमाल है बयानबाजी।
यही तो है लोकतंत्र !
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
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