A poem of Umesh chandra srivastava
राष्ट्रध्वज के मान का ,
नूतन सवेरा।
विश्व विजयी ही रहे ,
कितना उजेरा।
संग-साथी-
प्रेम में सदभाव से ,
इस पर्व पर-
कुछ लें शपथ ,
इस चाव से।
रूप-रस की गंध में ,
इसके समाये ,
भाव में बरबस ही ,
इसका प्रेम लाएं ,
'औ' तिरंगे को ही,
बस आगे बढ़ाएं।
राष्ट्रध्वज के मान का ,
नूतन सवेरा।
विश्व विजयी ही रहे ,
कितना उजेरा।
संग-साथी-
प्रेम में सदभाव से ,
इस पर्व पर-
कुछ लें शपथ ,
इस चाव से।
रूप-रस की गंध में ,
इसके समाये ,
भाव में बरबस ही ,
इसका प्रेम लाएं ,
'औ' तिरंगे को ही,
बस आगे बढ़ाएं।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava
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