A poem of Umesh chandra srivastava
हर सवाल का जवाब दे रही ज़िन्दगी ,
मोड़ जितने बने ,सी रही ज़िन्दगी।
दो दिनों का सफर -प्रेम से गर कटा ,
तो समझ लो यह सार्थक हुई ज़िन्दगी।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव-
A poem of Umesh chandra srivastava
A poem of Umesh Srivastava काव्य रस का मैं पुरुष हूँ गीत गाने आ गया | खो रही जो बात मैं उसको बताने आ गया | रात चंदा ने चकोरी से कहा तुम जान ...
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