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Wednesday, January 3, 2018

एक मुक्तक

A poem of Umesh chandra srivastava 

हर सवाल का जवाब दे रही ज़िन्दगी ,
मोड़ जितने बने ,सी रही ज़िन्दगी। 
दो दिनों का सफर -प्रेम से गर कटा ,
तो समझ लो यह सार्थक हुई ज़िन्दगी। 


उमेश चंद्र श्रीवास्तव- 
A poem of Umesh chandra srivastava 

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