A poem of Umesh chandra srivastava
अर्थ प्रधान युग है आया ,
चंदे से पार्टी में माया।
और इसमें बना पोल है ,
तो फिर कहाँ ईमान की काया।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava
A poem of Umesh Srivastava काव्य रस का मैं पुरुष हूँ गीत गाने आ गया | खो रही जो बात मैं उसको बताने आ गया | रात चंदा ने चकोरी से कहा तुम जान ...
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