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Monday, January 8, 2018

एक मुक्तक

A poem of Umesh chandra srivastava 

अर्थ प्रधान युग है आया ,
चंदे से पार्टी में माया। 
और इसमें बना पोल है ,
तो फिर कहाँ ईमान की काया। 




उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava 

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