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Sunday, August 14, 2016

गीत

भाई से भाई कभी न लाडे ,भाईचारा को बढ़ाते चलो,। 
भाई से भाई को मिलते चलो , भाई चारा बढ़ाते बढ़ो ।
द्वेष का भाव जो मन में भरे , उसको जहाँ से हटाते चलो । 
प्रेम तत्व जो अविरल है ,उसको ह्रदय से लगते चलो । 
स्वार्थ मई जो दृष्टि लगे उसको नज़र से उतारते  चलो । 
देखो मिलेगा अनुपम आनंद , यही भाव को जागते चलो ।


उमेश चंद्र श्रीवास्तव  -

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