आजादी के परवानों की बात बताएं क्या ?
किस्से-कहानी नहीं हकीकत राज बताएं क्या ?
वह तो सरहद पर नित जीते भारत के सम्मान में ।
वक्त पड़े तो मर मिट जाते देश के गौरव गान में ।
सुख वैभव को त्याग डटे हैं सुबह, दुपहरी रात पहर।
घर में भाई बहना पत्नी सब के मोह को त्याग कर ।
मात-पिता के अमर पुत्र हैं वह धरती के लाल हैं ।
रक्त लाल उनका भी रहता ,इच्छाएं प्रेरित करती।
पर वह देश हितार्थ डटे हैं इच्छाओं को मार कर।
देश सपूतों तेरी पूजा अर्चन क्या जग कर पायेगा ?
वीरसपूतों तेरी कहानी देश सदा ही गायेगा ।
-उमेश चंद्र श्रीवास्तव
किस्से-कहानी नहीं हकीकत राज बताएं क्या ?
वह तो सरहद पर नित जीते भारत के सम्मान में ।
वक्त पड़े तो मर मिट जाते देश के गौरव गान में ।
सुख वैभव को त्याग डटे हैं सुबह, दुपहरी रात पहर।
घर में भाई बहना पत्नी सब के मोह को त्याग कर ।
मात-पिता के अमर पुत्र हैं वह धरती के लाल हैं ।
रक्त लाल उनका भी रहता ,इच्छाएं प्रेरित करती।
पर वह देश हितार्थ डटे हैं इच्छाओं को मार कर।
देश सपूतों तेरी पूजा अर्चन क्या जग कर पायेगा ?
वीरसपूतों तेरी कहानी देश सदा ही गायेगा ।
-उमेश चंद्र श्रीवास्तव
No comments:
Post a Comment