श्याम तेरी मुरली की तान बड़ी मोहक ।
तन मन में प्रेम का रस भर जाता ।
सुध -बुध सब खो जाती, तान बड़ी सोहक ।
श्याम तेरी मुरली की तान बड़ी मोहक ।
आँखों का अंजन अधरों पे चला जाता ।
अधरों की लाली आँखों में समां जाती ।
ऊपर का नीचे सब वस्त्र हो जाता ।
कैसे है जादू ओ श्याम तेरी मुरली में ।
पूरा का पूरा वंशी बट खो जाता ।
श्याम तेरी मुरली की तान बड़ी मोहक ।
नखसिख सब प्रेममयी ,सब ही हो जाता।
बच्चा भी अठखेली भूल सा है जाता ।
पशु-पक्षी सन्न हो , सुनते है तान को ।
मुरली के रस में सब मगन मगन हो के ।
नाच उठते मृग,मयूर ,कोयल भी मौन है ।
क्या रस तुम दे देते , श्याम अपनी तन में ।
झूम झूम गगन,मही ,सूरज खो जाता ।
श्याम तेरी मुरली की तान बड़ी मोहक ।
-उमेश वहन्द्र श्रीवास्तव
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