कर्मो का बंधन।
कर्मो के बंधन है, जीवन यह सारा।
भाग्य-वाग्य कुछ नहीं, बेतुक की बातें ।
बहस-वहस मत करो ,कायर तुम जानो ।
गीता का उपदेश , सत्य को पहचानो ।
मोहत्याग, धर्मनिष्ठ महिमा पहचानो ।
राम रहे कर्म रत,कृष्णा योगी सत्य है ।
उनकी मीमांसा कर सत्य पहचानो ।
हर युग में पुरूशार्थ ही श्रेष्ठ रहा है ।
कदर करो बात की, भ्रम है यह मानो ।
चिद का आभास करो ,चिदानंद तुम हो ।
भाव का रूप रंग इसको ही मानो ।
आनंद , सुख पाओगे कर्म रत रहो सदा ।
कर्मो की बेल को समझो 'औ' जानो।
कर्मो के बंधन है, जीवन यह सारा।
भाग्य-वाग्य कुछ नहीं, बेतुक की बातें ।
बहस-वहस मत करो ,कायर तुम जानो ।
गीता का उपदेश , सत्य को पहचानो ।
मोहत्याग, धर्मनिष्ठ महिमा पहचानो ।
राम रहे कर्म रत,कृष्णा योगी सत्य है ।
उनकी मीमांसा कर सत्य पहचानो ।
हर युग में पुरूशार्थ ही श्रेष्ठ रहा है ।
कदर करो बात की, भ्रम है यह मानो ।
चिद का आभास करो ,चिदानंद तुम हो ।
भाव का रूप रंग इसको ही मानो ।
आनंद , सुख पाओगे कर्म रत रहो सदा ।
कर्मो की बेल को समझो 'औ' जानो।
-उमेश चंद्र श्रीवास्तव
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