वंदे भारत वाशिंदे, वंदे भारतवासी।
अतुलित वीर पुरोधा, अद्युतीय साहस, ज्ञानी।
मानस मे अनुगूंज प्रेम की, अविरल बहती धारा।
डंका बजता हरदम तेरा, प्राण निछावर ओ बलिदानी।
रहते अविरल प्रतिपल, प्रतिछण सजग बने प्रहरी।
वसुधा खातिर रोम-रोम मे, रक्त सदा गरमाता।
धरती के तुम अमर सूत हो, अमर है तेरी कहानी।
बाजू मे पल-पल फड़कन है देश बड़े नित आगे।
तुम तो वरद सरस्वती पूजक, भारत के गुण खानी।
जय हो भारत, जय हो भारत, वर अमर सेनानी।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव
अतुलित वीर पुरोधा, अद्युतीय साहस, ज्ञानी।
मानस मे अनुगूंज प्रेम की, अविरल बहती धारा।
डंका बजता हरदम तेरा, प्राण निछावर ओ बलिदानी।
रहते अविरल प्रतिपल, प्रतिछण सजग बने प्रहरी।
वसुधा खातिर रोम-रोम मे, रक्त सदा गरमाता।
धरती के तुम अमर सूत हो, अमर है तेरी कहानी।
बाजू मे पल-पल फड़कन है देश बड़े नित आगे।
तुम तो वरद सरस्वती पूजक, भारत के गुण खानी।
जय हो भारत, जय हो भारत, वर अमर सेनानी।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव
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