शब्द ब्रम्ह है,
ब्रम्ह शब्द है।
बोलो फिर है-
ब्रम्ह कहा-कहा?
शब्दो के अर्थों को समझो,
ब्रम्ह स्वयं मिल जयेगा।
दुनिया की बातों में भ्रम कर,
नही मिलेगा कुछ भी तो।
जैसे कुंडल नाभि में बस्ती,
मृग ढूंढें है यहाँ वहा।
वैसे ही हम भटक रहे है,
ब्रम्ह वहां है, वहा-वहा!
बहुत सुन्दर कविता | शब्द ब्रह्म है, ब्रह्म शब्द है | बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति | सुन्दर एवं सार्थक अभिव्यक्ति के लिए विशेष शुभकामनाएँ |
ReplyDelete