month vise

Monday, August 22, 2016

गीत

(गतांक से आगे )
                             


जन मन  भारत वासी,
महिमा तेरी है अविनाशी। 
मनु-श्रद्धा की अमर कहानी ,
हम सब उनके वंशज ,
हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई ,
सब हैं प्रेम से रहते ,
अमर प्रेम ही धरोहर है ,
हम सब भारत वासी ,
          जन मन  भारत वासी,
          महिमा तेरी है अविनाशी। 
सदियों से पावन भूमि का ,
ब्रह्माण्ड में नाम रहा है ,
तिरंगे की शान निराली  ,
तिरंगा है प्यारा ,
लहराए-यह जन-मन भीतर ,
महिमा अविरल धारा ,
यह बसता-सब रोम-रोम में ,
मन मस्तिष्क की धारा ,
प्यारा-प्यारा अपना तिरंगा ,
जन-मन का उजियारा ,
इसके बूते भारत बढ़ता,
धरती का यह प्यारा,
न्यारा-न्यारा अपना तिरंगा ,
लहराए-लहराए ,
हम सब भारत वासी इसके ,
यह सब का है दुलारा ,
          जन मन  भारत वासी,
          महिमा तेरी है अविनाशी। 


उमेश चंद्र श्रीवास्तव-

No comments:

Post a Comment

काव्य रस का मैं पुरुष हूँ

A poem of Umesh Srivastava काव्य रस का मैं पुरुष हूँ गीत गाने आ गया | खो रही जो बात मैं उसको बताने आ गया | रात चंदा ने चकोरी से कहा तुम जान ...