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Thursday, August 2, 2018

जन्म दिवस है गीत मैं गाऊं

A poem of Umesh chandra srivastava




जन्म दिवस है गीत मैं गाऊं ,
श्रद्धा से मैं शीश नवाऊं |
तुम तो ब्रती , रथी थे इतने ,
क्या-क्या तेरा दर्प दिखाऊं |

राम काव्य की सारी महिमा ,
गया बड़े सलीके से |
और कृष्ण की कथा-कहानी ,
पेश किया अलीके से |

तुम तो मैथिलि अमर हो गये ,
हम सब तेरे चरण रज हैं |
माँ वीणा से विनती इतनी ,
हमको भी मुखरित स्वर दे |

राग द्वेष से मुक्त रहूँ मैं ,
राम कृष्ण की गाथा गाऊँ |
जो भी बिम्ब छोड़ गये तुम ,
उन बिम्बों का रस बतलाऊं |

उमेश चन्द्र श्रीवास्तव-
A poem of Umesh chandra srivastava 

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