A poem of Umesh chandra srivastava
जन्म दिवस है गीत मैं गाऊं
,
श्रद्धा से मैं शीश नवाऊं |
तुम तो ब्रती , रथी थे इतने
,
क्या-क्या तेरा दर्प दिखाऊं
|
राम काव्य की सारी महिमा ,
गया बड़े सलीके से |
और कृष्ण की कथा-कहानी ,
पेश किया अलीके से |
तुम तो मैथिलि अमर हो गये ,
हम सब तेरे चरण रज हैं |
माँ वीणा से विनती इतनी ,
हमको भी मुखरित स्वर दे |
राग द्वेष से मुक्त रहूँ
मैं ,
राम कृष्ण की गाथा गाऊँ |
जो भी बिम्ब छोड़ गये तुम ,
उन बिम्बों का रस बतलाऊं |
उमेश चन्द्र श्रीवास्तव-
A poem of Umesh chandra srivastava
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