A poem of Umesh chandra srivastava
वतन का तन ,
यह तन 'औ' मन ,
वतन के वासते ।
वतन मेरा ,
नयन मेरा ,
यह सारे रास्ते
वतन के वासते ।
वतन के वासते ।
हम मुस्कुराएं तो वतन ,
हम जीत जाएँ तो वतन ,
हमारे सारे हो जतन।
वतन के वासते ।
वतन के वासते ।
हुआ जनम वतन लिए ,
गगन , मही वतन लिए ,
नाल , नदी 'औ' शिखर।
वतन के वासते ।
वतन के वासते ।
ना कोई अंध बात हो ,
सभी ही जाति साथ हो ,
सभी बने , सभी तने।
वतन के वासते ।
वतन के वासते।
तिरंगा हिन्द शान हो ,
जयघोष अमरगान हो ,
सपूत सारे जो डटे।
वतन के वासते ।
वतन के वासते ।
जय हिन्द , जय हिन्द , जय हिन्द ,
यही हमारे शब्द हों ,
मगन नयन-नयन।
वतन के वासते ।
वतन के वासते ।
वतन का तन ,
यह तन 'औ' मन ,
वतन के वासते ।
वतन मेरा ,
नयन मेरा ,
यह सारे रास्ते
वतन के वासते ।
वतन के वासते ।
हम मुस्कुराएं तो वतन ,
हम जीत जाएँ तो वतन ,
हमारे सारे हो जतन।
वतन के वासते ।
वतन के वासते ।
हुआ जनम वतन लिए ,
गगन , मही वतन लिए ,
नाल , नदी 'औ' शिखर।
वतन के वासते ।
वतन के वासते ।
ना कोई अंध बात हो ,
सभी ही जाति साथ हो ,
सभी बने , सभी तने।
वतन के वासते ।
वतन के वासते।
तिरंगा हिन्द शान हो ,
जयघोष अमरगान हो ,
सपूत सारे जो डटे।
वतन के वासते ।
वतन के वासते ।
जय हिन्द , जय हिन्द , जय हिन्द ,
यही हमारे शब्द हों ,
मगन नयन-नयन।
वतन के वासते ।
वतन के वासते ।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava
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