A poem of Umesh chandra srivastava
तुम्हारी नई कविता संग्रह आ गयी ,
फिर तुमने उन्हीं से लिखवाया ,
अपने समर्थन में उद्बोधन।
वैसे तो-तुम-उन्हें निपट कपटी समझते हो ,
पर उनसे लिखवाने के पीछे ,
तो तुमने मार्केटिंग का तर्क दिया ,
वह समझ में नहीं आया।
क्या तुम्हारी कविता ,
उन्हीं मार्केटिंग के सरमायेदारो के ,
लिहाफ पर टिकेगी।
तुम्हारी नई कविता संग्रह आ गयी ,
फिर तुमने उन्हीं से लिखवाया ,
अपने समर्थन में उद्बोधन।
वैसे तो-तुम-उन्हें निपट कपटी समझते हो ,
पर उनसे लिखवाने के पीछे ,
तो तुमने मार्केटिंग का तर्क दिया ,
वह समझ में नहीं आया।
क्या तुम्हारी कविता ,
उन्हीं मार्केटिंग के सरमायेदारो के ,
लिहाफ पर टिकेगी।
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
A poem of Umesh chandra srivastava
I want to talk to you sir please give me number and call me 8874 13 1200
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