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काव्य रस का मैं पुरुष हूँ
A poem of Umesh Srivastava काव्य रस का मैं पुरुष हूँ गीत गाने आ गया | खो रही जो बात मैं उसको बताने आ गया | रात चंदा ने चकोरी से कहा तुम जान ...
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A poem of Umesh chandra srivastava प्रकृति तुम्हारा आकर्षण है , युग-युग से सुन्दरतम तुम। जंतु भले यह प्रगट न कर सकें , पर मानव तुमसे...
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poem by Umesh chyandra srivastava मौन भी अभिव्यंजना है , शब्द यहं पर कहाँ ठहरे। पर बताओ अर्थ में विस्तार , कितना ही सुखद है। बात स...
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