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Saturday, September 3, 2016

पुत्र-1

सुत का जन्म मुबारक तुमको,
पुत्र अगर जब लायक हो। 
मात-पिता की सिद्धी  सफल है। 
पुत्र का मान, जो जनहित हो,
वरना जीवन भर तंगी में,
बात-बात में भ्रम की रहें,
काटों सा जीवन होता। 
कहने को सब अच्छा-अच्छा,
मगर टीस मन भीतर रहती। 
मात-पिता का प्रथम धर्म है। 
सुत को योग्य बनाये वो। 
निज कहना है, पुत्र योग्य-
तब ही बनता है, 
जब हम सब सतर्क रहे। 
बचपन से लेकर-उसको हम-
सदा सार्थक शिक्षा दे। 
भटके न रहो पर वह तो-
ऐसा मार्ग प्रशस्त्र   करें। 
उसकी अपनी मौलिकता हो,
अपना मत थोपे न कोई। 
वह जीए जीवन अपना ही,
मात-पिता के इक्षा बल। 
                  सुत का जन्म मुबारक तुमको,
                 पुत्र अगर जब लायक हो। (शेष कल )
                                                           उमेश चंद्र श्रीवास्तव 

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