बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।
तुमसे ही जगत में है पानी।
तुमपे न्योछावर मात-पिता।
संघी,संघाती और जनप्रतिनिधी।
बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।
मुखड़ा तुम्हारा दमा-दम दमके।
कीरत तुम्हारी चमा-चम चमके।
तुम ही संसार की अद्भुत हो रचना।
सब कहते यह ,सब मानी।
बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।
तेरे सम्मान में जो अंख मूंदे हैं।
तुझको ही ढाल बना -आगे बढे हैं।
उनका समझ लो , लोक जगत से -
उठ गया दाना -पानी।
बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।
तुम ही तो वीर हो , तुम ही वीरांगना।
तुम से ही खिलता है सबका अंगना।
तुम ही तू शान हो ,विद्व समाज की।
तुमको लिखे कवि कल्यानी।
बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।
भू , जंगल ,पर्वत और पानी ,
तेरे रक्षार्थ ही रमे हुए हैं।
कृष्णा ने रक्षा की तेरे भले की ,
तू तो जगत की अमर बानी।
बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।
तुमसे ही जगत में है पानी।
तुमपे न्योछावर मात-पिता।
संघी,संघाती और जनप्रतिनिधी।
बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।
मुखड़ा तुम्हारा दमा-दम दमके।
कीरत तुम्हारी चमा-चम चमके।
तुम ही संसार की अद्भुत हो रचना।
सब कहते यह ,सब मानी।
बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।
तेरे सम्मान में जो अंख मूंदे हैं।
तुझको ही ढाल बना -आगे बढे हैं।
उनका समझ लो , लोक जगत से -
उठ गया दाना -पानी।
बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।
तुम ही तो वीर हो , तुम ही वीरांगना।
तुम से ही खिलता है सबका अंगना।
तुम ही तू शान हो ,विद्व समाज की।
तुमको लिखे कवि कल्यानी।
बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।
भू , जंगल ,पर्वत और पानी ,
तेरे रक्षार्थ ही रमे हुए हैं।
कृष्णा ने रक्षा की तेरे भले की ,
तू तो जगत की अमर बानी।
बड़े धीरे चलो बिटिया रानी।
-उमेश चंद्र श्रीवास्तव
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