वही रोज आना ,वही रोज जाना।
वही रोज बातों का,कहना-सुनना।
वही रोज बातों का,कहना-सुनना।
यह जगत सत्य है 'औ' तुम्ही सत्य प्राणी।
नहीं कोई दूजा है ईश्वर अनाड़ी।
तुम्ही जग के कर्ता, तुम्ही जग के धर्ता।
यह संतों की वाणी बताना-बताना।
जगत में प्रिया है सिया प्राण प्यारी।
'औ' पुत्री जगत की है शक्ति हमारी।
उसे बस संजोना ,उसे साथ रखना।
जगत की है माता यह धरती हमारी।
यही बात समझो बताना -सुनाना।
धरम बस वही है जो धारण किये हो।
करम बस वही है जो करते चले हो।
मनन से ,लगन से ,यही याद रखना।
जो करते चले हो ,वही तो मिलेगा।
सदा सच की वाणी, तो सच ही मिलेगा।
मगन हो, सदा मन में पुष्प खिलेगा।
यही बस बताना ,यही बस सुनना।
यही याद रखना , यही गुनगुनाना।
वही रोज आना ,वही रोज जाना।
वही रोज बातों का,कहना-सुनना। (शेष कल)
उमेश चंद्र श्रीवास्तव -
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