गर तुम मेरा साथ न दोगे ,
तो क्या मैं जी पाउँगा।
भंवर पतंगे सा यह जीवन ,
डोल-डोल भून जाऊंगा।
दूर गगन पर आसमान की ,
चादर चिकनी चिकनेदार।
उसमे चंदा की है बिंदी,
कितनी मनोहर है चटकार।
जैसे कोई सीता सजी हो ,
मुखड़ों पर झल-मल चमके।
दन्त, नासिका ,नयन कमल से ,
गालों पर गुलबाग लिए।
छन -छन आती मंद बयारें ,
घूंघट का पट खोल रही।
हिरन थिरक कर नाच उठे हैं ,
मानो सब गुलज़ार हुआ।
तो क्या मैं जी पाउँगा।
भंवर पतंगे सा यह जीवन ,
डोल-डोल भून जाऊंगा।
दूर गगन पर आसमान की ,
चादर चिकनी चिकनेदार।
उसमे चंदा की है बिंदी,
कितनी मनोहर है चटकार।
जैसे कोई सीता सजी हो ,
मुखड़ों पर झल-मल चमके।
दन्त, नासिका ,नयन कमल से ,
गालों पर गुलबाग लिए।
छन -छन आती मंद बयारें ,
घूंघट का पट खोल रही।
हिरन थिरक कर नाच उठे हैं ,
मानो सब गुलज़ार हुआ।
-उमेश चंद्र श्रीवास्तव
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