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Sunday, September 4, 2016

पुत्र -2

           सुत का जन्म मुबारक तुमको ,
           पुत्र अगर जब  लायक हो।
जीवन का सब अंधकार वो ,
टाले निज स्वविवेक से वो।
खुशियां जीवन भर वह पाए ,
अपना पुलक जगाये वो।
नात-हित और जन समाज पर ,
अपना अमित छाप छोड़े।
और भी प्रेरित हों -उस सुत  से ,
उसका कर्म महान बने।
राम पुत्र कौशल्या के थे  ,
भारत हुए कैकेई सूत।
पर दोनों ने अपना-अपना ,
ध्येय ,मार्ग बनाया खुद।
राम रम गए जन-जन भीतर ,
भारत बने आदर्श यहाँ।
लक्ष्मण की तो बात निराली ,
सुमित्रा के हुए  विलक्षण पुत्र।
ऐसे है सुत बने सभी के ,
मात-पिता गर सोचें तो।
वार्ना खुद के स्वार्थ भाव में ,
वह अपना जीवन जी लें।
पुत्र जन्मा हो या पुत्री हो ,
दोनों का निर्माण करें ।
जीवन के  सब पगडंडी का ,
उसको सत्य बताएं वो।
तभी सुयोग्य बनेगा तेरा ,
वह सुत हो या सुता  तेरी।
फैला कर वह निज यश कीर्ति ,
मात-पिता का नाम करेगा।
तब ही सार्थक जीवन तेरा ,
मात पिता का  खुद हो जायेगा।  




उमेश चंद्र श्रीवास्तव 

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