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Friday, September 16, 2016

पांच देवता सत्य हैं

पाँच देवता सत्य हैं ,जो नित रहते पास। 
इनका ही सेवन करो , मन हो जाये उजास। 
क्षिति,जल,पावक,गगन ये, है समीर अहसास।
उनसे ही दुनिया रची 'औ' तन मन पुलकात। 
बाकी सब तो मिथ्य है ,मन रचना अनुकूल। 
कथा,कहानी  में गढे, इनके चरित्र अनूप। 
यह जग में ही रहन का , देते मात्र हैं सीख। 
किस्से में  इनके मिले, नव विचार नव रस। 
इनको मनो इष्ट तुम ,यह निजता की बात। 
पर मेरे मत में सही, पाँच देव हैं तात।  

उमेश चंद्र श्रीवास्तव- 

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